स्टील्थ टेक्नोलॉजी (Stealth Technology) एक ऐसी तकनीक है जिसका उपयोग सैन्य विमानों, जहाजों, मिसाइलों और अन्य हथियार प्रणालियों को दुश्मन के रडार, सेंसर और अन्य डिटेक्शन सिस्टम से छुपाने के लिए किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि हथियार या वाहन दुश्मन को दिखाई न दे या उसकी पहचान करना मुश्किल हो जाए।
स्टील्थ टेक्नोलॉजी के प्रमुख तत्व:
1. रडार क्रॉस सेक्शन (RCS) को कम करना:
- स्टील्थ वाहनों को विशेष आकार (ज्यामिति) दिया जाता है ताकि रडार की तरंगें वापस न लौटें।
- उदाहरण: F-22 रैप्टर और B-2 स्पिरिट बॉम्बर में त्रिकोणीय और चिकने डिज़ाइन होते हैं।
2. रडार-अवशोषित सामग्री (RAM - Radar Absorbent Material):
- विमान या जहाज के बाहरी हिस्से पर ऐसी कोटिंग्स लगाई जाती हैं जो रडार तरंगों को सोख लेती हैं।
3. इन्फ्रारेड सिग्नेचर कम करना:
- इंजन की गर्मी को कम करने के लिए विशेष सिस्टम लगाए जाते हैं, ताकि दुश्मन के इन्फ्रारेड सेंसर पकड़ न सकें।
4. कम ध्वनि और इलेक्ट्रॉनिक उत्सर्जन:
- स्टील्थ विमान या पनडुब्बियाँ कम शोर करती हैं और इलेक्ट्रॉनिक संकेतों (जैसे रेडियो तरंगें) को नियंत्रित करती हैं।
स्टील्थ टेक्नोलॉजी का उपयोग:
- F-35 लाइटनिंग II (अमेरिका)
- B-2 स्पिरिट (अमेरिका)
- चीन का J-20 और रूस का SU-57
- भारत का AMCA (एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट) - विकासाधीन
स्टील्थ टेक्नोलॉजी वाले प्रमुख देश:
1. अमेरिका – F-22 रैप्टर, F-35 लाइटनिंग II, B-2 स्पिरिट बॉम्बर
2. रूस – SU-57 (5वीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर)
3. चीन – J-20, J-31 (स्टील्थ फाइटर), H-20 (स्टील्थ बॉम्बर - विकासाधीन)
4. भारत – AMCA (एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट - विकासाधीन)
5. यूके/फ्रांस/जर्मनी – टेम्पेस्ट (6वीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर - विकासाधीन)
6. तुर्की – TF-X KAAN (स्टील्थ फाइटर - टेस्टिंग चरण में)
नोट: अभी तक सिर्फ अमेरिका, रूस और चीन के पास ही ऑपरेशनल स्टील्थ लड़ाकू विमान हैं। भारत और अन्य देश अभी इस तकनीक पर काम कर रहे हैं।
सीमाएँ:
- स्टील्थ टेक्नोलॉजी 100% अदृश्य नहीं बनाती, बल्कि डिटेक्शन की संभावना को कम करती है।
- नए रडार (जैसे क्वांटम रडार) स्टील्थ तकनीक को चुनौती दे रहे हैं।
कुल मिलाकर, स्टील्थ टेक्नोलॉजी आधुनिक युद्ध में एक बड़ा फायदा देती है, जिससे दुश्मन को पता ही नहीं चलता कि हमला कहाँ से हो रहा है।